Concept Followed by Guru-Shishya Parampara
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Kalyan

Kalyan (West)- 421301

Mulund

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About Dr. Sanjeev

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Dr. Sanjeev M. Gupta is an Ayurvedic Consultant dealing chiefly in cases like Cancer, Liver diseases, Heart diseases, Kidney diseases, Infertility (male/female) etc., simply speaking which are difficult to treat, have a high mortality rate, require very expert handling and have increased tremendously in the last few decades.He is an expert in conditions like DVT(deep vein thrombosis), Varicose Veins, Auto-immune diseases, Diabetes, B.P., Thyroid diseases, Gynaec diseases, Gastrointestinal conditions & surgical conditions like vaginal/rectal prolapse. Also, he is deeply interested in the treatments of Azoospermia, Asthma, T.B., Gout, Bone/Joint diseases & Psychiatric conditions.He has recognized the capabilities of this ancient system of INDIAN MEDICINE in treating all such diverse diseases of varying severity.He is totally committed to bringing Ayurved & its benefits to the fore & helping all patients to live a healthy & fit life naturally.He very strongly believes in Ayurved & its potential in dealing with such dreaded diseases which day by day are increasingly making lives of humans miserable. He sees Ayurved as “God’s gift to mankind”.

His Legacy: He has gained his knowledge through the way of Guru-Shishya Parampara in Ayurved. This is the most ancient, original & traditional way of gaining knowledge in India. Fortunately, this system is very much in existence today. As was the way in ancient times, Ayurved & all other sciences, arts, warfare etc. were taught by the way of Guru-Shishya Parampara. This meant that a GURU used to impart this Knowledge to his disciples (Shishya) & this continued generation to generation. This is the best form of learning since the secrets of Ayurved (also other fields of knowledge) have to be learned from a Guru. Self-study is very essential no doubt about that, but there are limitations to it. We can’t learn everything by ourselves only. It is very time-consuming too. Also, not everyone is that talented & gifted to do alone (without the guidance of a Guru). Everyone must be aware of the story of EKLAVYA.He feels that he is certainly very fortunate to be blessed in such a way & he rightly feels very proud about that.

Personal note:

When I started my practice, I came across many patients who were not benefitted even after consulting many doctors.This intrigued me to find the real cause.Interestingly their investigations didn’t reveal anything & they were labeled as neurotic.I examined their Pulse(naadi) & treated them accordingly.They were all cured.This was long back ago.This is a little example of what Ayurved is capable of.There was no looking back.It gives me immense satisfaction to see my patients get rid of their sufferings via Ayurved.Even I feel astonished sometimes on seeing the results of Ayurvedic medicines & its principles.

A few words about modern medicine. I personally feel that modern medicine is doing its job in treating patients at every level. We must give credit where it is due. Modern technology has contributed so much to our understanding of diseases that has ultimately helped in treating our patients. Emergency treatments, complex surgeries, life-saving equipments all are possible today, thanks to modern medicine. I am certainly not saying that surgery is a totally modern phenomenon. Ayurvedic surgery has existed for thousands of years as is evident by many classical texts. But ayurvedic surgery is different and unique in many ways. Technology has contributed immensely towards modern medicine & treatments. It is only through technology that current investigations are done which have changed the whole methods of dealing with a particular ailment. It’s no surprise that people turn to modern medicine first & come to Ayurved only when modern medicine is unable to offer much help in a particular case. Ayurved has been pushed to an inferior place comparatively & called Alternative Medicine!!!. Fortunately, Ayurved has survived the vicissitudes of time & is still practiced in India to a great extent. The failures of modern medicine are only a small reason for its existence. As every classical text very truly states that AYURVED IS ANAADI (has no beginning, which means that no one can calculate it’s birthtime) & ANANT (which is going to exist infinitely, which can’t be eliminated).

I encourage people to believe in Ayurved & adopt it as their Pathy of Choice. Ayurved & modern medicine don’t clash. Only the approach is different. Both are doing their jobs differently but the goals are the same. The patient has to judge what is working for him. Don’t deprive yourself only of this age-old ancient system of treatment because you haven’t tried Ayurved yet. At Amoghsanjeevani we deal in all such very difficult cases which really need a great expertise to handle. Do not hesitate to try Ayurved. It may save your life & you will definitely thank Ayurved for that.

If you want to know how Ayurved can help you get rid of your ailments, feel free to call me anytime.

डॉ. संजीव गुप्ता के बारे में


डॉ. संजीव गुप्ता एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ हैं जो विशेष रुप से कैंसर, लीवररोग, हृदयरोग, किडनी रोग, मस्तिष्करोग, वंध्यत्व आदि ऐसे रोगों की चिकित्सा करते हैं जिनकी चिकित्सा अत्यंत कठिन है, जिनकी मृत्यु दर काफी अधिक है, जिनकी चिकित्सा करने में विशेष कुशलता लगती है तथा जो पिछले कुछ दशकों से बढ़ते ही जा रहे हैं। वे एक ऐसे विशेषज्ञ हैं जो डीवीटी ( डीप व्हेन थ्रांबोसिस), वेरीकोज व्हेन, ऑटोइम्यून बीमारियां, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायराइड विकार, स्त्री रोग, पेट की बीमारियां आदि की चिकित्सा करते हैं। वे योनि भ्रंश जैसे शल्य चिकित्सा साध्य अवस्थाओं की औषधीय चिकित्सा करते हैं। वे ऐसे रोगों की चिकित्सा में अधिक रूचि रखते हैं ,जैसे अजूस्पर्मिया (शुक्राणु का अभाव), दमा, क्षय रोग, अस्थि रोग, संधि रोग तथा मानसिक रोग आदि । उन्होंने भारतीय औषधि प्रणाली की इस शक्ति को पहचाना है जिससे इन सभी असाध्य / कठिन रोगों की चिकित्सा सफलता से की जा सकती है। जन समाज में आयुर्वेद के महत्व को समझाने के लिए वे पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उन्हें आयुर्वेद पर पूर्ण विश्वास है तथा आयुर्वेद की शक्तियों को वे बखूबी जानते हैं। वे आयुर्वेद को मनुष्य जाति हेतु दिया गया “ ईश्वर का वरदान ” मानते हैं।.

उनकी परंपरा: डॉ. संजीव गुप्ता ने अपना ज्ञान “गुरु शिष्य परंपरा” द्वारा प्राप्त किया है। भारत में ज्ञान प्राप्ति की यह सबसे प्राचीन एवं मौलिक पद्धति रही है । सौभाग्य वश आज भी यह विधा विद्यमान है। प्राचीन काल में आयुर्वेद, अन्य विज्ञान कलाएं,संगीत, युद्ध कला आदि “गुरु शिष्य परंपरा” द्वारा ही सिखाए जाते थे। गुरु अपने सभी शिष्यों को अपना ज्ञान देते थे एवं इस प्रकार यह ज्ञान सरिता पीढ़ी दर पीढ़ी बहती रहती थी। ज्ञान प्राप्ति का यह उच्चतम तरीका है। स्वअभ्यास अत्यंत आवश्यक है इस बारे में कोई संदेह नहीं परंतु उसकी अपनी सीमाएं हैं। हम खुद से हर चीज नहीं सीख सकते, हमारा जीवन इतना लंबा नहीं है। साथ ही हर व्यक्ति में इतनी प्रतिभा नहीं होती कि वह गुरु के मार्गदर्शन के बिना ज्ञान प्राप्त कर सके। सभी लोगों को एकलव्य की कथा के बारे में ज्ञात होगा ही। डॉ. संजीव अपने आप को इस मामले में अत्यंत भाग्यशाली मानते हैं एवं गौरवान्वित महसूस करते हैं।

मन की बात:

जब मैंने चिकित्सा कार्य आरंभ किया तो ऐसे कई रोगियों को मैंने देखा जिन्हें कई डॉक्टरों से इलाज करवाने के बावजूद लाभ नहीं हो सका था। मेरे मन में काफी उत्कंठा उत्पन्न हुई इसकी सही वजह जानने की। उनके रिपोर्ट में भी कुछ खास विकार दृष्टिगोचर नहीं होता था, अतः उन्हें मानसिक रोगी का लेबल लगा दिया गया। मैंने उनकी नाड़ी परीक्षा की तथा तदनुसार उनका इलाज किया, वे सभी रोग मुक्त हो गए। यह बहुत समय पहले की बात है। आयुर्वेद की असीम क्षमताओं को समझने का यह एक छोटा सा उदाहरण है । मैंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। चिकित्सा करके उन्हें रोग मुक्त होते हुए देखने का आनंद शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।आयुर्वेद के सिद्धांतों के सफल परिणामों को देखकर मैं स्वयं भी आश्चर्यचकित रह जाता हूं।

आधुनिक चिकित्सा के विषय में कुछ कहना प्रासंगिक होगा। व्यक्तिगत तौर पर मैं यह स्पष्ट रूप से महसूस करता हूं की आधुनिक चिकित्सा अपना कार्य हर स्तर पर बखूबी कर रही है। श्रेय देने में संकोच करना उचित नहीं। आधुनिक टेक्नोलॉजी के कारण रोगों को समझने में जो आसानी हुई है उससे अंततोगत्वा रोगियों का इलाज सुगमता से हो पा रहा है। इमरजेंसी चिकित्सा, कठिन सर्जरी, प्राण रक्षा के उपकरण यह सभी आज आधुनिक चिकित्सा के बदौलत संभव हो पाए हैं । यहां यह कहना उचित होगा की आयुर्वेद में सर्जरी का स्थान सदैव ही रहा है आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में सर्जरी का विशेष उल्लेख है, परंतु आयुर्वेदिक सर्जरी आज की सर्जरी से काफी भिन्न है। टेक्नोलॉजी के कारण आज आधुनिक चिकित्सा संभव एवं सुगम हो पाई है । टेक्नोलॉजी की बदौलत कई प्रकार के परीक्षण हम कर पाते हैं जिनसे किसी भी रोग को समझने एवं इलाज करने में सुविधा होती है । आश्चर्य की बात नहीं है कि लोग आधुनिक चिकित्सा में सर्वप्रथम जाते हैं एवं आयुर्वेद में तभी आते हैं जब आधुनिक चिकित्सा सफल नहीं हो पाती है। वास्तविकता यह है आयुर्वेद आज नीचे धकेल दिया गया है एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में जाना जाता है। सौभाग्यवश कालसरिता का प्रवाह आयुर्वेद को मिटा नहीं पाया तथा भारत में आयुर्वेद आज भी काफी प्रचलित है। आधुनिक चिकित्सा की विफलताएं केवल एक छोटा सा कारण है आयुर्वेद के अस्तित्व में बने रहने का। प्राचीन शास्त्रों में हमेशा कहा गया है की आयुर्वेद “अनादि” है (अर्थात इसके आरंभ की गणना नहीं की जा सकती) एवं “अनंत” है (जिसका अस्तित्व सदैव बना रहेगा)।

मैं व्यक्तिगत तौर पर सदैव लोगों को आयुर्वेद अपनाने की प्रेरणा देता हूं एवं आयुर्वेद को अपनी प्रथम पसंद की चिकित्सा पद्धति बनाने हेतु प्रेरित करता रहता हूं। आयुर्वेद एवं आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कोई टकराव नहीं है केवल नजरिया अलग है। दोनों अपना काम अपने तरीके से करते हैं परंतु दोनों के ही उद्देश्य एक समान हैं । रोगी को यह सोचना है कि उसके लिए कौन सी चिकित्सा पद्धति अधिक कारगर है । हमारा आपसे यही निवेदन है की विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति के लाभ से खुद को वंचित मत होने दीजिए। “अमोघ संजीवनी” में हम ऐसे कठिन से कठिन रोगों का इलाज सदैव से करते रहे हैं जिनके हेतु अतीव निपुणता की आवश्यकता है। आयुर्वेद को अपनाने में संकोच मत कीजिए। इससे आप के प्राण बच सकते हैं एवं इसके लिए आप आयुर्वेद के आभारी रहेंगे।

यदि आप यह जानना चाहते हैं किआयुर्वेद के द्वारा रोग मुक्त कैसे हो सकते हैं तो मुझे कभी भी संपर्क कर सकते हैं ।